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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष

कल 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है सम्पूर्ण विश्व में योग को पहुँचाने में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की भूमिका बड़ी ही महत्वपूर्ण है साथ ही योग गुरु बाबा रामदेव जी का योगदान भी अतुलनीय है वैसे योग भारत देश में प्राचीन काल से ही प्रचलित रहा है तब लोग स्वस्थ रहने के लिए नित्य योग, प्राणायाम, आयुर्वेद आदि का सहारा लिया करते थे

 

हमारे देश में ऐसे कई ऋषि मुनि महात्मा हुए है जिन्होंने योग कि जन-जन तक पहुँचाया और देश-विदेश में भी प्रचलित किया उनमे महर्षि जाबालि जी, तिरुमलई कृष्णामाचार्य जी, स्वामी शिवानंद जी,  आचार्य बी के एस आयंगर जी,  के. पट्टभि जॉयस जी,  महर्षि महेश योगी जी, परमहंस योगानंद जी,  जग्गी वासुदेव जी, श्री श्री रवि शंकर जी,  बाबा रामदेव जी,  बिक्रम चौधरी जी, आचार्य रजनीश ओशो जी आदि कई योगाचार्य हुए है

इन योगाचार्यों में से ऋषि जाबालि, आचार्य रजनीश ओशो, महर्षि महेश योगी जी की तपोभूमि जबलपुर भी रहा है

ऋषि जाबालि – जिनके नाम से जबलपुर को जाना जाता है

ऋषि जाबालि के नाम से जबलपुर शहर का नाम है इतिहास जानकारों के अनुसार ऋषि जाबालि ने नर्मदा नाती के तट पर ध्यान और योग करते हुए कई वर्ष बिताये है अपने योग, ध्यान और चेतना का कारण ही उन्होंने जबलपुर जैसी तपोभूमि को बसाहट दी

आचार्य रजनीश ‘ओशो’ – विचारों के मन में बसे ओशो

दुनिया भर में दर्शन और विचारों कि जाग्रति जगाने वाले आचार्य ओशो रजनीश जबलपुर की योगभूमि को भी पावन बना चुके है उनका दर्शन दुनिया में छाने वाला है, जिसे बड़ी हस्तियाँ भी अपना चुकी है ओशो ने दर्शन से सभी कि जोड़ने का काम किया है

महर्षि महेश योगी – जिन्होंने जगाई योग साधना

महर्षि महेश योगी योग तपस्वी रहे है जबलपुर में आपने योग कि कई साधनाएं की है जिसके कारण शहर भी प्रसिद्ध हुआ महर्षि महेश योगी शिक्षा की अलख वाले भी थे इसलिए शिक्षण संस्थानों में आज भी योग प्रमुखता दी जाती है

 

आपका अपना

अजय विश्नोई

“भैरूंसिंह तू आ सरपंचाई छोङ र कोई चौखी बाण्या की नौकरी कर ले!”

1978 । मुख्यमंत्री निवास, जयपुर

राजस्थान के मुख्यमंत्री श्रद्धेय भैरोंसिंह जी शेखावत बहुत देर तक काम करने के आदि थे। बतौर मुख्यमंत्री वे कई बार देर रात तक सचिवालय में काम करते रहते। बाक़ी लोग तो अपना रात्रि भोजन सचिवालय में माँगा लेते थे पर CM साहब ऐसा नहीं कर पाते थे। क्योंकि उनका नियम था की वे अपनी भाभू (माँ) श्रीमती बन्ने कँवर जी के साथ बैठकर ही खाना खाते थे। वे कितना भी लेट हो जाते, उनकी माँ उनका इंतजार करतीं रहती।

भाभू बहुत ही सीधी और भोली भालीं महिला थीं। उनके पिता ठाकुर सौभाग्य सिंह जी बीदावत (सहनाली) बीकानेर रियासत के सम्मानित व्यक्ति थे। वे उस समय की महिलाओं की तरह अधिक पढ़ीं लिखीं नहीं थी। जब उनके पति श्रद्धेय ठाकुर देवी सिंह जी का निधन हुआ तब उनके बड़े पुत्र भैरूसिह जी मात्र 18 वर्ष के थे और उनके छोटे पुत्र आदरणीय लक्ष्मण सिंह जी की उम्र तो मात्र 10 महीने थी।

भैरोंसिंह जी को छोटी सी उम्र में ही अपने परिवार की ज़िम्मेदारी संभालनी पड़ी थी। इस कारण भाभू अपने भैरोंसिंह के बारे में बहुत चिंतित रहती थी। जब 1977 में राजस्थान के मुख्यमंत्री बने तो भाभू ने पूरे खाचरियावास में यह कहके गुड़-पताशे और मिठाई बँटवाई की “म्हारो भैरुसिंह सगले राजस्थान को सरपंच बणग्यो “। भैरोंसिंह जी ने जब मुख्यमंत्री की शपथ ली तब सीधे मंच से उतरके अपनी माँ के पाँव छूकर प्रणाम किया तो माँ ने यही आशीर्वाद दिया “भैरूंसिंह तू सरपंच तो बणग्यो है, अब कदेई कोई गरीब री हाय मत लीजे, सगलाँ रो काम करजे अर थारे पितरां रो नाम करजे “

उन्हें अपने पुत्र पर गर्व तो बहुत था पर जब वो दिन और रात को खाना खाने समय पर नहीं आते तो उन्हें बहुत रीस आती थी। एक बार जब भैरोंसिंह जी रात को बहुत लेट घर पधारे तो भोजन करते समय भाभू ने उनको डाँटते हुए कहा “भैरूंसिंह, तू आ किसी सरपंच की नौकरी कर ली.. ना खाणो खाबा रो ठिकाणो ना सोबा रो, तू एक काम कर, थारी आ नौकरी तो छोड़, थारे कने अत्रा बाण्या आवे है, कोई बाण्या ने कैर चोखी सी नौकरी कर ले तो थारे खाबा पीबा रो तो आराम रैसी!

यह बात सुनकर भैरोंसिंह जी सहित पूरा परिवार ज़ोर से हंसने लगे… साहब ने अपनी माँ के भोलेपन का सम्मान करते हुए कहा.. ठीक है भाभू, आप कैवो हो तो कोई दूसरी नौकरी देखूँ“

एक बार भाभू विधानसभा देखने गयीं तब भैरोंसिंह जी जनसंघ विधायक दल के नेता थे और श्रद्धेय मोहनलाल सुखाड़िया जी मुख्यमंत्री। उन्होंने देखा कि भैरोंसिंह जी और सुखाड़िया जी सदन में एक दूसरे से ज़बरदस्त वाद विवाद कर रहे थे, आरोप लगा रहे थे। जब भाभू भैरोंसिंह जी के कक्ष पहुँची तो देखा सुखाड़िया साहब वहीं बिराज रहे थे… उन्होंने भाभू के पाँव छूकर प्रणाम किया तो भाभू ने ग़ुस्से से उन्हें कहा “अबार तो म्हारा भैरूंसिंह ने इयाँ मैण्या कसे अर अब म्हारे धोक देवो?” यह सुनते ही सुखाड़िया साहब और भैरोंसिंह जी ज़ोर से हंसने लगे.. उन्होने कहा “भाभू माइने तो राजनीति ही, वियाँ तो सुखाड़िया साहब अर म्हे सगा भाई जश्या हाँ।” यह बात सुनकर भाभू ने सुखाड़िया साहब को तो खूब लाड़ किया व आशीर्वाद दिया पर अब उनका ग़ुस्सा भैरोंसिंह जी की तरफ़ बढ़ गया “माइने तो जीनावरां रे जियाँ लड़ो अर अठे सागे चाय पीता थाने शरम कोनी आवे ? मन्ने तो आगे हूँ थारी इं विधान सभा में कदेई मत लेर आजयो।

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर

14 भाइयों में सबसे छोटे अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल को इंदौर के पास में महू में हुआ था। जहां आज भाजपा सरकार ने एक भव्य स्मारक बना दिया है। 1950 में देश के संविधान को लिखने वाला नेता 1952 के चुनाव में अपना पहला चुनाव हार गए थे। कांग्रेस चुनाव जीत गई थी।

बाबासाहेब ने दलितों के लिए जो लड़ाई लड़ी उसे हम सब जानते हैं। बाबा साहब ने महिलाओं के सशक्तिकरण की भी लड़ाई लड़ी थी। जिसे कम लोग जानते हैं।

5 फरवरी 1951 को डॉ अंबेडकर ने संसद में हिंदू कोड बिल पेश किया था। इसमें महिलाओं को पारिवारिक संपत्ति में अधिकार, तलाक का अधिकार, बहु विवाह पर रोक, विधवा विवाह को मान्यता देने की बात कही थी। संसद में इस पर 3 दिन तक बहस चली थी। विरोध करने वालों का तर्क था इसे सिर्फ हिंदुओं पर नहीं सभी धर्म पर लागू किया जाए। इस बिल के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हुए। बिल पास नहीं हो सका। बाद में अंबेडकर जी ने हिंदू कोड बिल समेत अन्य मुद्दों को लेकर कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। उस समय देश में महिलाएं भी शोषित और वंचित थी। दलित तो शोषित और वंचित थे ही। शोषित और दलितों की यह आवाज 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हमेशा के लिए शांत हो गई।

1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से बाबासाहेब को सम्मानित किया गया। बाबा साहब की आत्मा आज प्रसन्न होगी देश में दलितों को आज बराबरी का स्थान प्राप्त है। महिलाओं को परिवार की संपत्ति में बराबरी का अधिकार है।बहु विवाह गैर-कानूनी है। विधवा विवाह को समाज में मान्यता प्राप्त है।

बाबा साहब सिर्फ भारत रत्न ही नही सम्पूर्ण मानवता के रत्न है। आज उनके जन्मदिन के अवसर पर बारंबार प्रणाम।

आप सबको भारत के गणतंत्र दिवस की बधाई ..

आज से 71 वर्ष पूर्व हमने अपना बनाया हुआ संविधान अपने देश पर स्वयं लागू किया था। न्यायालय को, संसद को, विधानसभाओ को, कार्यपालिका को, नागरिकों को, कौन-कौन सी शक्तियां होंगे उनके अधिकार क्या होंगे, और क्या उनके कर्तव्य होंगे, इस किताब में लिखा है। जिसका नाम है। ‘संविधान’

संविधान की मूल प्रति संसद भवन में नाइट्रोजन गैस चैंबर में रखी हुई है। ताकि है यह पुस्तक खराब ना हो। मूल प्रति हस्तलिखित है। अंग्रेजी में भी और हिंदी में भी। इसे लिखा था दिल्ली में रहने वाले श्री प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने। उन्होंने लिखने का शुल्क नहीं लिया था। प्रत्येक पृष्ठ पर उनके हस्ताक्षर है। संविधान के प्रत्येक पृष्ठ को शांति निकेतन के कलाकारों ने सुंदर चित्रों से सजाया है। राम दरबार, गीतादर्शन, सिंगवाहनी दुर्गा, नंदी पर सवार शिवजी के चित्रों से सजी हुई है यह पुस्तक। ये चित्र इस बात के प्रमाण हैं कि संविधान निर्माताओं के दिमाग में स्पष्ट था कि भारत हिंदुओं का राष्ट है। उनके दिमाग में सांप्रदायिकता कहीं दूर दूर तक नहीं थी। इन चित्रों को बनाने वाले लोगों में हमारे जबलपुर के स्वर्गीय श्री राम मनोहर व्यवहार भी एक प्रमुख कलाकार थे। संविधान के प्रथम पृष्ठ पर बनाये चित्रों के बाद उन्होंने उस पर अपने हस्ताक्षर में पूरा नाम की जगह सिर्फ राम लिखा है।

संविधान सभा का गठन 11 दिसंबर 1946 को हुआ था। जिसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद जी को बनाया गया था। हमारे प्रथम राष्ट्रपति। मुस्लिम लीग ने संविधान सभा का बहिष्कार किया था। आजादी के बाद 29 अगस्त 1947 को संविधान निर्माण समिति बनाई गई। जिसका अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को बनाया गया। कुल 11 सत्रों में संविधान बनाने का काम पूरा हो गया। 11वॉ और अंतिम सत्र 26 नवंबर 1949 को हुआ था। इस पर संविधान सभा के 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे। देश ने इसे स्वीकार किया था। इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में जाना जाता है। 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया था। इसलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में जाना जाता है और मनाया जाता है।

दोस्तों 60 देशों के संविधान का अध्ययन करके बना था, भारत का संविधान। भारत के संविधान में नागरिकों के अधिकार और WE THE PEOPLE की अवधारणा अमेरिका के संविधान से ली थी। पंचवर्षीय योजना रूस के संविधान से, स्वतंत्रता और समानता फ्रांस के संविधान से, सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां जापान के संविधान से, व्यापार और वाणिज्य के नियम आस्ट्रेलिया के संविधान से लिए गए थे।

हमारा संविधान कठोर भी है और लचीला भी इसमें समय और आवश्यकता के हिसाब से संशोधन करने का अधिकार भी संसद को दिया गया है अब तक संविधान में कुल 104 संशोधन हो चुके हैं।

दोस्तों संविधान में लिखी हुई हर बात का पालन करना भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। हमें अपने देश के संविधान पर गर्व है। संविधान निर्माताओ को प्रणाम है।

दोस्तों, भारत के संविधान को बनाने के लिए संविधान सभा का गठन किया जाए, यह मांग पहली बार 1939 में कांग्रेस के अधिवेशन में उठाई गई थी। मुझे यह बताते हुए गर्व है कि यह सम्मेलन जबलपुर की धरती पर हुआ था।जिसे हम त्रिपुरी सम्मेलन के नाम से जानते हैं। इसी सम्मेलन में गांधीजी के प्रत्याशी को चुनाव में हराकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। जिसकी स्मृति में जबलपुर शहर में कमानिया गेट बना हुआ है। जिस पर 1939 अंकित है। अंग्रेजों ने 1940 में कांग्रेस की इस मांग को स्वीकार कर लिया था। और 1942 में क्रिप्स कमीशन ने संविधान सभा बनाने की घोषणा कर दी थी। बाद में 1946 में संविधान सभा बनी जिसका उल्लेख में ऊपर कर चुका हूं।

एक बार फिर से सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं…

सुधार विरोधी किसान आंदोलन

दिल्ली में बैठे पंजाब और हरियाणा के किसान मोदी सरकार द्वारा बनाए 3 कानूनों को समाप्त करने की जिद लेकर बैठे हैं। मोदी सरकार कह रही है यदि किसी कानून के किसी बिंदु पर आपत्ति है, तो हमें समझाओ हम सुधार देंगे।

दिल्ली में बैठे पंजाब और हरियाणा के किसान मोदी सरकार द्वारा बनाए 3 कानूनों को समाप्त करने की जिद लेकर बैठे हैं। मोदी सरकार कह रही है यदि किसी कानून के किसी बिंदु पर आपत्ति है, तो हमें समझाओ हम सुधार देंगे। परंतु जिस कानून से देशभर के किसानों का भविष्य उज्जवल होना है, उसे सिर्फ दो प्रदेशों के चंद किसानों की जिद के कारण वापस नहीं लेंगे।

आश्चर्य है कांग्रेस इस आंदोलन का समर्थन कर रही है। कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव के अपने घोषणा पत्र में लिखा था।
1. मंडी एक्ट वापस लेंगे।
2. कृषि उपज व्यापार को बढ़ावा देंगे और उसे हर तरह की पाबंदियों से मुक्त करेंगे।
3. पंजाब के चुनाव घोषणा पत्र में कांग्रेस ने लिखा था कि कृषि में निजी निवेश को बढ़ावा देंगे।

मोदी सरकार के कृषि सुधार कानून ने मंडी व्यवस्था को बनाए रखते हुए किसानों को मंडी में लाइसेंसी व्यापारी को ही माल बेचने के प्रतिबंध से मुक्त किया है। मंडी टैक्स पर छूट दी है। किसानों की भूमि की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए कृषि में निजी निवेश का रास्ता प्रशस्त किया है। निजी निवेश धीरे-धीरे आएगा आगामी कुछ सालों में किसानों को इसका फायदा नजर आएगा। इन कानूनों में किसान को कोई नुकसान नहीं है। फायदा है। कांग्रेसी भी यही करना चाहती थी परंतु अब राजनीतिक रूप से कमजोर हो चुकी अवसरवादी कांग्रेस दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन की आग में घी डालकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना चाह रही है।

मध्य प्रदेश का किसान जानता है जब जब कांग्रेस की सरकार बनी उन्होंने किसान को गांव को कुछ नहीं दिया।10 दिनों में कर्ज माफ करने का वायदा करके किसानों को डिफाल्टर बना दिया।

किसान को और गांव को तभी कुछ मिला जब देश में प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी है। किसान को क्रेडिट कार्ड, गांव तक पहुंचने प्रधानमंत्री सड़क, खेत तक पहुंचने सुदूर सड़क, गांव की गलियों में सीमेंट, खेत में दर्जनों ट्रांसफार्मर, खेत को10 घंटे बिजली, घर में 24 घंटे बिजली, तभी मिली जब प्रदेश में भाजपा सरकार बनी। मध्य प्रदेश का किसान जानता है कि भाजपा सरकार के नेतृत्व में ही उसका भला है।

The Power of Thoughts

The world we live in, is impossible, without THOUGHTS! “Thoughts are Synonym of Life” Thinking is a nonstop process.

The world we live in, is impossible, without THOUGHTS!
“Thoughts are Synonym of Life” Thinking is a nonstop
process, & it’s an inseparable part of our life. Once we come
to this world, we start thinking & imagining, and we never
stop until we die.
This gift of thinking is bestowed upon very rare species & we
as human beings are lucky to be the one who’s blessed with
unimaginable power of THOUGHTS!
Once we start thinking seriously about something, then we
keep on going, studying the topic, understanding it, wanting
to know more, and the more we learn, more we know, that
there is much more, much much more to be learned.
And this power of THOUGHTS, gives us hope, it makes us
believe in the world which we created for ourselves, in our
own mind. We start planning, to make our thoughts happen.
And if executed rightly, they’ll definitely happen in real life.
There are millions of examples in history of this, many
around you…
तो… सार यह है…

कि जैसा हम जानते है, हमारी सोच ही हमें बनाती है।
सोच है तो कल्पना है, कल्पना है तो उम्मीद, उम्मीद है तो विश्वास,
विश्वास है तो कर्म है, कर्म है तो फल है…
और इसी तरह हमारी सोच पर विश्वास कर, सही दिशा में बढ़ें, तो हम
वो सब पा सकते हैं, जो हमने सोचा है।

मुस्कान, धार्मिकता का असली सार

गंभीरता कभी धार्मिक नहीं होती, यह धार्मिक हो भी नहीं सकती। गंभीरता अहंकार के कारण है, जो एक बिमारी का ही अंश है।

गंभीरता कभी धार्मिक नहीं होती, यह धार्मिक हो भी नहीं सकती। गंभीरता अहंकार के कारण है, जो एक बिमारी का ही अंश है। मुस्कान तो अहंकार मुक्त होती है। हाँ, आपके हंसने में और एक धार्मिक आदमी के हंसने में अंतर होता है। अंतर यह है कि आप हमेशा दूसरों पर हँसते है और धार्मिक आदमी खुद पर हँसता है या फिर मानव के सम्पूर्ण भद्देपन पर। धार्मिकता जीवन उत्सव के अलावा कुछ और नहीं हो सकती, जबकि गंभीर व्यक्ति पंगु हो जाता है, वो स्वयं व्यवधान पैदा कर देता है। वह नाच नहीं सकता, गा नहीं सकता. उसके जीवन से उत्सव का आयाम ही गायब हो जाता है। ऐसा व्यक्ति खुद को धार्मिक मानने का दिखावा कर सकता है, पर ऐसा होता नहीं है। अब समझे कि हंसी भी हंसी नहीं है, आप हर समय शुद्ध तरीके से बच्चे के सामान नहीं हस सकते और जब आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप पवित्रता, निर्दोषता जैसी मूल्यवान चीजों को खो रहे होते है।

आप एक बच्चे का हँसना देखें, हंसी उसके हृदय से आती है। जब बच्चा जन्मता है तो प्रथम चीज़ जो वह सीखता है, असल में सीखता नहीं, अपने साथ लाता है, वह है मुस्कान। किसी भी व्यक्ति को उम्रभर हर स्थिति में हँसना चाहिए, इससे आप में परिपक्वता आएगी। यहाँ यह भी नहीं कहा जा रहा कि कभी रोना नहीं. पर सच यह है कि आप यदि हंस नहीं सकते तो आप रो भी नहीं सकते क्योंकि ये दोनों एक ही घटना के दो पहलू है। सच और प्रमाणिक होने के। हम तभी हँसते है जब कोई कारण हमें हसने हेतु बाध्य करे। चुटकुले पर हम हँसते है क्योंकि यह हम में एक प्रकार की उत्तेजना पैदा करता है। चुटकुले में ऐसा होता है की एक दिशा में कहानी चलती है, अचानक मोड़ आता है, जिसका आपको कतई अंदाज़ा नहीं होता है। उस उत्तेजना में आप पंचलाइन की प्रतीक्षा करते है, पर होता ऐसा है कि आपकी कल्पना जैसा कुछ नहीं होता है, बल्कि बहुत अलग भद्दा या मजाकिया कुछ होता है, आपकी अपेक्षा के विपरीत। यह बताना चाहता हूँ कि हंसने से आपके अन्दर से कुछ ऊपरी बाहरी स्तर पर आती है, जब आप हँसते है तो कुछ देर के लिए आपका सोचना रुक जाता है और उन क्षणों में गहन ध्यान अवस्था में
होते है।

हँसना और सोचना साथ साथ हो ही नहीं सकते. यानी जब सच में आप हँसते है, तो आप सोच नहीं पाते।
और यदि सोच रहे है तो फिर हंसी आपकी असल हंसी नहीं है, वह पीछे छुट रही होती है।
जब आप सच में हँसते है तो उस वक़्त आपका दिमाग गायब होता है, वह चलता नहीं है।
सारी झेन प्रक्रिया इसी पर टिकी है की बिना दिमाग की स्थिति में कैसे पहुंचना।
और हंसी ही वह दरवाज़ा है जिसमें से आप नो माइंड की स्थिति में पहुँच सकते है।

इतिहास जानना आवश्यक है, खासकर हमारे युवाओं के लिए

एक ओर जहां हमारे प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी, “सबका साथ-सबका विकास” के लक्ष्य को..

एक ओर जहां हमारे प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी, “सबका साथ-सबका विकास” के लक्ष्य को लेकर चलते हुए अथक प्रयास कर रहें हैं.. वहीँ कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए इस देश की जनता को बाँटना चाहते है, तोड़ना चाहते हैं.. पर हम सभी को उन्हें दिखाना ही होगा की अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा, इससे पहले भी कई बार गंदी राजनीति करते हुए ये लोग ऐसे खेल खेलते रहें हैं, पर अब भारत कि जनता ऐसा पुनः बिलकुल नहीं होने देगी.. सन 1950 तक भारत के जन-मानस के मन में, कहीं भी तुष्टिकरण जैसी कोई तुच्छ भावना थी ही नहीं.. हर भारतीय के लिए परम सम्माननीय “हमारा संविधान”, विश्व का सबसे बड़ा संविधान.. उस संविधान के निर्माताओं ने उसके एक-एक अक्षर को ध्यान, मेहनत, लगन, खोज व सोच-समझकर बनाया और फिर सभी की सर्वसम्मति से उस संविधान को मान्यता दी गई और उसे लागू किया गया.. उस महान संविधान के प्रथम पृष्ठ के चित्र में चार कोनों पर चार चित्र है:-

1. शिवजी का नंदी – जिनके सिर पर मुकुट और पीठ पर आसन है।
2. इंद्र का ऐरावत हाथी – जिसकी पीठ पर आसन है।
3. अश्वमेघ यज्ञ का सुसज्जित अश्व।
4. आदि शक्ति का प्रतीक बाघ (बंगाल टाइगर)।

और इसी के साथ उसी प्रष्ठ पर एक नाम अंकित है वो है ‘राम’.. संविधान के इस प्रथम प्रष्ठ को देखकर यह बात साफ़ है की संविधान के सभी निर्माता व मान्यता देने वाले सभी गणमान्य भी इस बात को मानते थे की हमारा देश हिंदुस्तान, सदा से, पूर्ण रूप से हिन्दूराष्ट्र था.. हिन्दुस्तान का हर निवासी हिन्दू है.. और यही सत्य है.. परन्तु सन १९५० के बाद, एक राजनैतिक दल ने सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए,
वोटों के लिए, वोट बैंक के लिए.. गन्दी राजनीती करते हुए इस तुच्छ तुष्टिकरण की सोच को प्रबलता दी..
जिसका परिणाम आज हम जेएनयु में लगे देश विरोधी नारे, कश्मीर में हुयी पत्थरबाजी, बंगाल में हुए दंगे और हाल ही में बाल कटवाते हुए गायक सोनू निगम के रूप में देखकर दुखी व चिंतित है..
हमारे स्वतंत्रता सेनानी, वीर क्रांतिकारी, हमारे हमारे पूर्वज व संविधान निर्माताओं ने कभी भी न तो इस
तुष्टिकरण के बारे में सोचा और न ही ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है..
इसलिए मैंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी को एक पत्र लिखा है, ताकि इस बात को संपूर्ण विश्व को बताया जाए कि हिन्दुस्तान सदा से हिंदू राष्ट्र रहा है, और सदा रहेगा। हमें हमारे गौरवशाली हिंदुस्तान व इसके इतिहास पर गर्व है।
और इसी के प्रतीक स्वरुप विश्व के सबसे बड़े और सुन्दर संविधान को अपनी कला से सजाने वाले और
पूर्वी देशों में भारतीय कला को फ़ैलाने वाले भारत के सांस्कृतिक राजदूत माँ नर्मदा जी के आशीर्वाद
से जबलपुर की पावन माटी में जन्मे स्व. श्री राममनोहर ब्यौहार जी को वो सम्मान दिया जाए जिसके वो
सही मायनों में अधिकारी हैं..
आइए हम सब राम मनोहर जी को “भारतरत्न” से अलंकृत किये जाने हेतु माननीय प्रधानमंत्री जी से
निवेदन करें।

जय हिन्द! जय हिन्दुराष्ट्र! जय हिंदुस्तान!

मोदी सरकार की चंद बेजोड़ उपलब्धियां!

मोदी सरकार की चंद बेजोड़ उपलब्धियां! अपने आसपास विघ्नसंतोषी लोगों को अकसर ये कहते सुना जाता है कि मोदी सरकार ने पाँच साल में क्या किया?

अपने आसपास विघ्नसंतोषी लोगों को अकसर ये कहते सुना जाता है कि मोदी सरकार ने पाँच साल में क्या किया? उनकी उपलब्धियां और कार्यशैली से देश ने क्या हांसिल किया! दरअसल, ऐसे सवाल उठाना, उन लोगों की मज़बूरी है, जिन्हें यथास्थिति में जीने की आदत पड़ चुकी है। उन्हें बदलाव और नए परिवेश का भारत रास नहीं आता! उन्हें आश्वासन से संतुष्ट होने की आदत पड़ चुकी है। जबकि, मोदी सरकार ने महज पाँच सालों में हर क्षेत्र में काम किया है! फिर वो चाहे स्वास्थ्य हो, शिक्षा हो, महिला उत्थान हो, गरीबों की जीवन शैली में बदलाव हो या फिर पड़ौसी देशों की नापाक हरकतों पर लगाम लगाना हो! मैं वो चंद उपलब्धियां आपके सामने रख रहा हूँ, जो मुझे स्मरण हो आई हैं! मुझे विश्वास है कि आप भी मेरी बात से सहमत होंगे!
मोदी सरकार की उपलब्धियों में सर्जिकल स्ट्राइक से लगाकर स्वच्छता अभियान, शौचालय निर्माण, उज्ज्वला योजना, जनधन योजना तक शामिल है। मोदी सरकार के कार्यकाल में ही स्वच्छ भारत अभियान के तहत 9 करोड़ से ज्यादा शौचालयों का निर्माण हुआ है! इस जन आंदोलन के कारण आज ग्रामीण स्वच्छता का दायरा बढ़कर 98% हो गया है, जो कि वर्ष 2014 में 40% से भी कम था। इस सरकार ने कई ऐसे अनोखे काम किए हैंजो पूर्ववर्ती सरकारों के सोच से दूर थीं। गरीब परिवारों को ‘उज्ज्वला योजना’ के तहत 6 करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन दिए गए। जबकि, 2014 तक देश में केवल 12 करोड़ गैस कनेक्शन ही थे। केवल साढ़े 4 साल में ही मोदी सरकार ने 13 करोड़ परिवारों को गैस कनेक्शन से जोड़ा है। यानी जो काम आजादी से पाँच साल पहले तक हुआ, मोदी सरकार ने वो 5 साल में ही कर दिखाया!.
इस सरकार ने गरीबों को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए भी कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। उनमें प्रमुख उपलब्धि ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान’ भी है, जिसके तहत देश के 50 करोड़ गरीबों को गंभीर बीमारी की स्थिति में हर साल 5 लाख रुपए तक के इलाज खर्च की व्यवस्था की गई है। 4 महीने में ही इस योजना के तहत 10 लाख से ज्यादा गरीबों ने अपना इलाज करवाया। ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना’ के तहत भी देशभर में अभी तक 600 से ज्यादा जिलों में 4,900 जन औषधि केन्द्र खोले गए। इन केन्द्रों में 700 से ज्यादा दवाइयां कम कीमत पर मिलती हैं। मात्र 1 रुपए महीने के प्रीमियम पर ‘प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना’ और 90 पैसे रोज के प्रीमियम पर ‘प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना’ में लगभग 21 करोड़ गरीबों को बीमा सुरक्षा कवच प्रदान किया गया। सरकार ने तमिलनाडु के मदुरै से लेकर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा तक और गुजरात के राजकोट से लेकर असम के कामरूप तक नए ‘एम्स’ बनाने की योजना बनाई है।
सरकार ने गरीब परिवारों के लिए आवास और जनसुविधाओं के क्षेत्र में भी काफी कुछ किया है। सरकार की ग्रामीण आवास योजनाओं के तहत 1 करोड़ 30 लाख से ज्यादा घरों का निर्माण किया गया। जबकि, 2014 के पहले, पाँच साल में, सिर्फ 25 लाख घरों का ही निर्माण हुआ था। आज देश के हर गांव तक बिजली पहुंच गई! ‘प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना’ के तहत अब तक 2 करोड़ 47 लाख घरों में बिजली का कनेक्शन दिया जा चुका है। गरीबों के लिए जनधन योजना से काफी सहारा मिला है। इस वजह से देश में 34 करोड़ लोगों के बैंक खाते खुले और देश का लगभग हर परिवार बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ गया! जनधन खातों में जमा 88 हजार करोड़ रुपए इस बात के गवाह हैं कि कैसे इन खातों ने बचत करने का तरीका बदल दिया!
महिला उत्थान के मामले में भी मोदी सरकार के कामकाज को पूर्ववर्ती सरकार से कमतर नहीं आँका जा सकता! मुस्लिम महिलाओं को डर और भय की जिंदगी से मुक्ति दिलाने तथा उन्हें अन्य बेटियों के समान जीवन जीने के अधिकार देने के लिए सरकार ने ‘तीन तलाक’ से जुड़े कानून को संसद से पारित करवाने का प्रयास किया है। ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ का सबसे अधिक लाभ भी महिलाओं को ही मिला है। देशभर में दिए गए 15 करोड़ मुद्रा लोन में से 73% लोन महिला उद्यमियों ने प्राप्त किए हैं। ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना’ के तहत लगभग 6 करोड़ महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। ऐसे महिला स्वयं-सहायता समूहों को मोदी सरकार ने 75 हजार करोड़ रुपए से अधिक का ऋण उपलब्ध कराया। कामकाजी महिलाओं को अपने नवजात शिशुओं के अच्छी तरह लालन-पालन का पर्याप्त समय मिल सके, इसके लिए मैटरनिटी लीव को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया।
डिजीटलाइजेशन को भी मोदी सरकार की जानदार उपलब्धियों में गिना जाना चाहिए! 2014 में देशभर में मात्र 59 ग्राम पंचायतों तक डिजिटल कनेक्टिविटी पहुंची थी। जबकि, आज एक लाख 16 हजार ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फायबर से जोड़ दिया गया है। लगभग 40 हजार ग्राम पंचायतों में वाई-फाई हॉटस्पॉट लगा दिए गए। की कीमत भी पाँच सालों में 250 रुपए प्रति जीबी से घटकर लगभग 10-12 रुपए हो गई! मोबाइल पर बात करने में पहले जितना खर्च होता था, वह भी आधे से कम हो गया! आज भारत दुनिया में मोबाइल फोन बनाने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत ही आंध्रप्रदेश में, एशिया के सबसे बड़े ‘मेडटेक झोन’ की स्थापना की जा रही है।
पाँच साल में बदलते भारत ने सीमा पार आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक करके अपनी ‘नई नीति और नई रीति’ का परिचय भी दिया है। भारत उन चुनिंदा देशों की पंक्ति में भी शामिल हो गया, जिनके पास परमाणु त्रिकोण की क्षमता है। साथ ही जीएसटी से ईमानदारी और पारदर्शी व्यापार व्यवस्था ने जन्म लिया है। एक ये भी खासियत है कि आज भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया! औद्योगिक विकास के क्षेत्र में भी हमने कई लक्ष्यों को हांसिल किया है। 2014 के आम चुनाव से पहले देश एक अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा था, चुनाव के बाद मोदी सरकार ने एक नया भारत बनाने के संकल्प लिया! एक ऐसा नया भारत जहां व्यवस्थाओं में अधूरापन न हो और देश का हर नागरिक अपनी सरकार पर गर्व कर सके।

जानिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)के बारे में

कभी अनाम, अनजान, उपेक्षित और घोर विरोध का शिकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चर्चा एवं उत्सुकता का विषय बना हुआ है।

कभी अनाम, अनजान, उपेक्षित और घोर विरोध का शिकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चर्चा एवं उत्सुकता का विषय बना हुआ है। संघ की इस यात्रा में ध्यान देने योग्य है कि कांग्रेस सरकार द्वारा तीन-तीन प्रतिबंधों, कभी अत्यंत शक्तिशाली और क्रूर रहे कम्युनिस्टों, ईसाई और इस्लामिक शक्तियों से एक साथ जूझते हुए आगे बढ़ा है। यह चमत्कार संघ के स्वयंसेवकों की त्याग, तपस्या और बलिदान के चलते ही हो सका है। आज देश-विदेश के अनेक विश्व विद्यालयों में संघ पर शोध हो रहा है। जिस प्रकार गोमुख को देख कर हरिद्वार की विशाल गंगा या छोटे से बीज को देखकर विराट वटवृक्ष की कल्पना भी कठिन होती है वैसे ही विजयदशमी सन 1925 को नागपुर में डॉ. केशव् बलिराम हेडगेवार के साधारण से घर में 15/20 लोगों में प्रारम्भ हुए संघ से आज के विशाल जनांदोलन या राष्ट्रभक्ति के

महाअभियान का रूप धारण कर चुके संघ की कल्पना करना भी कठिन है। आज संघ देशभक्तों की आशा तथा देश विरोधियों के लिए उनके रास्ते का रोड़ा बन गया है। संघ की साधारण सी दिखने वाली शाखा से अदभुत व्यक्तित्व पैदा हुए हैं। शाखा से प्रेरणा प्राप्त स्वयंसेवकों पर संघ को ही नहीं तो पूरे देश को गर्व है। सामान्य किसान- मजदूर, क्लर्क से लेकर प्रशासनिक अधिकारी हो, सेना -पुलिस में उच्च अधिकारी हों या इतना ही नहीं तो न्यायधीश से लेकर प्रधानमन्त्री तक स्वयंसेवक अपनी सेवाएं राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
विद्यार्थियों की अथाह उर्जा को क्षुुद्र स्वार्थों की हल्की राजनीति से हटा कर राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति और
राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के मार्ग पर अग्रसर करने के लिए 23 जून 1948 के दिन कुछ चिन्तन मननशील
स्वयंसेवकों ने विद्यार्थी परिषद की स्थापना की। आज यह देश का सबसे बड़ा गैर राजनैतिक छात्र संगठन है। विद्यार्थी परिषद अपने अनुशासन, दायित्वबोध, नैतिकता बोध, सक्रियता और रचनात्मक कार्यों के लिए विख्यात है।

राष्ट्र सेविका समिति
देश की महिला शक्ति के मनोबौद्धिक, शारीरिक एवं सामाजिक सांस्कृतिक उत्थान की योजना करते हुए उन्हें भी राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में सहभागी बनाने के उदेश्य से श्रीमती लक्ष्मीबाई केलकर ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार से परामर्श कर 1936 की विजयदशमी को राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की। इस समय समिति की देश-विदेश में 500 से अधिक शाखाएं हैं तथा लाखों सेविकाएँ हैं।

विद्या भारती
भारतीयता एवं राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत सर्वांगीण शिक्षा देने के लिए 1951 में प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना गोरखपुर में की गई। प्रान्त में अन्य विद्यालयों के संचालन के लिए 1958 में उत्तर प्रदेश की शिशु शिक्षा प्रबंध समिति का गठन हुआ। इसी प्रकार अन्य प्रान्तों में भी कार्य प्रारम्भ हुआ। अखिल भारतीय स्तर पर सभी प्रांतीय समितियों के मार्गदर्शन करने के लिए विद्या भारती की 1977 में स्थापना हुई। आज विद्या भारती में शिशु वाटिकाओं एवं संस्कार केन्द्रों सहित 25 हजार से अधिक शिक्षण संस्थाएं, 2,50,000 आचार्य और 25 लाख से अधिक विद्यार्थी हैं। सरकार के बाद यह देश का सबसे बड़ा शिक्षा संगठन है।

अखिल भारतीय शिक्षण मंडल
शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना और राष्ट्र विरोधी प्रवृतियों के प्रतिरोध के लिए गठित
शिक्षक संगठन। भारतीय परिवेश में आवश्यक शिक्षा के लिए शिक्षक और सरकार की भूमिका को लेकर अनेक सेमिनार, गोष्ठियों तथा शोध कार्य का संचालन।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद
साहित्यिक क्षेत्र में भारतीय अस्मिता और सांस्कृतिक चेतना को प्रोत्साहन देकर राष्ट्रीय विचारधारा को
प्रभावी भूमिका में लाने 1996 में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की स्थापना हुई। साहित्य परिषद भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों के लिए संयुक्त मंच प्रदान करता है। आज साहित्य परिषद से उदीयमान साहित्यकार से लेकर अनेक प्रसिद्ध साहित्यकार जुड़े हैं।

संस्कृत भारती
देववाणी संस्कृत को फिर से जन-जन की भाषा बनाने के लिए संस्कृत भारती कार्य कर रही है। संस्कृत
संभाषण शिविर, पत्राचार द्वारा संस्कृत प्रशिक्षण तथा संस्कृत ललित साहित्य सृजन आदि माध्यमों से
निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।

भारत विकास परिषद
देश के उद्यमी और संपन्न वर्ग को राष्ट्र सेवा कार्य से जोड़ने और भारतीय जीवन मूल्यों की रक्षा में प्रवृत करने के लिए 1963 में डॉ. सूरज प्रकाश और लाला हंसराज गुप्त ने भारत विकास परिषद की स्थापना की। संपर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा और समर्पण ऐसे पांच सूत्रों पर आधारित परिषद की आज 1200 शाखाएं, 54 हजार परिवार और एक लाख 8 हजार सदस्य हैं।

राष्ट्रीय सेवा भारती
वंचित वस्तियों में रहने वाले आर्थिक दृष्टि से पिछड़े और उपेक्षित बन्धुओं की सेवा और उत्थान के लिए संघ में सेवा विभाग बनाया गया है। स्वयंसेवकों के प्रयास से सेवा भारती के द्वारा एक लाख के लगभग सेवा कार्य चलाये जा रहे हैं। बाल संस्कार केंद्र, सिलाई केंद्र, नियमित स्वास्थ्य सेवा के लिए मोबाईल वैन, कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र आदि के द्वारा इस वर्ग में आर्थिक स्वावलंबन और संस्कार देने का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा। कुंवारी माताओं द्वारा छोड़ दिए बच्चों के लिए मातरी छाया का जैसे कई अभिनव प्रकल्प चलायें जा रहे हैं। इन सेवा कार्यों के परिणामस्वरूप लाखों ईसाई बन चुके हिन्दू दोबारा अपने धर्म में वापिसी कर चुके हैं और करोड़ों जाने से बच गये हैं।

दीनदयाल शोध संस्थान
स्वर्गीय दीनदयाल जी की पुण्य स्मृति में 1972 में स्व. नाना जी देशमुख ने दीनदयाल शोध संस्थान की
स्थापना की। बौद्धिक क्रिया-कलापों के आलावा ग्राम विकास के कार्य इस संस्थान की प्रमुख गतिविधि है। उत्तर प्रदेश के गोंडा, चित्रकूट उड़ीसा, बिहार के भी एक एक जिले में समग्र ग्राम विकास के प्रकल्प चल रहे हैं। मध्य प्रदेश में चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय इस संस्थान का विशिष्ट प्रकल्प है।

विश्व हिन्दू परिषद
हिन्दू समाज के विश्व भर में फैले सभी मत सम्प्रदायों में एकता स्थापित कर संपूर्ण समाज को सुसंगठित,
एकात्म और वास्तविक अर्थ में धर्म प्रवण बनाने के उदेश्य से संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरु जी की प्रेरणा से 1965 जन्माष्टमी को अनेक महाविभुतियों के सानिध्य में स्थापना हुई। श्री रामजन्मभूमि के
आन्दोलन का सफल नेतृत्व कर यह संगठन अपनी छाप छोड़ चुका है। विश्व हिन्दू परिषद ईसाई मुसलमान बन चुके अपने लाखों बन्धुओं की हिन्दू धर्म में वापिसी के अलावा हजारों सेवा कार्य भी चला रहा है।

वनवासी कल्याण परिषद
दुर्गम वनों और पर्वतों में आधुनिक विकास से दूर, साधनहीन जीवन जी रहे वनवासियों की सेवा करते हुए उन्हें उन्नति के मार्ग पर अग्रसर करते हुए देश की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्येश्य से 1952 में वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना की गयी। देश के कोने-कोने में 12000 के लगभग सेवा कार्यों के द्वारा वनवासी कल्याण आश्रम आज वनवासियों की आशा का केंद्र बन चुका है। वनवासी क्षेत्र से भी समाज सेवा के लिए जीवन अर्पित करने वाले युवकों को तैयार कर कार्य में लगा लेना वनवासी कल्याण आश्रम की बड़ी उपलब्धी कही जा सकती है।

विज्ञान भारती
भारतीय ज्ञान विज्ञान की पुन: प्रतिष्ठा और स्वदेशी विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के विकास के लिए वैज्ञानिकों की संस्था। प्रसिद्ध वैज्ञानिक सुपर कम्प्यूटर के खोजकर्ता डॉ. विजय भाटकर वर्तमान में विज्ञान भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

पूर्व सैनिक सेवा परिषद
पूर्व सनिकों के पुनर्वसन में सहायता करने तथा उनकी देशभक्ति,अनुशासन और दक्षता का उपयोग देश व समाज सेवा में करने को समर्पित संगठन। क्रीड़ा भारती अगर आप खेल में रूचि रखते हैं तो आपके लिए समाज सेवा के लिए क्रीड़ा भारती एक अच्छा विकल्प हो सकता है। दिसम्बर 3, 1992 को पुणे में स्थापित क्रीड़ा भारती का उदेश्य खेल संस्कृति का विकास, खेल संगठनों में समन्वय, भारतीय खेलों, सूर्य नमस्कार, योगासन, भारतीय व्यायाम पद्धति को प्रोत्साहन देने के साथ साथ खिलाडियों में राष्ट्रीय भावना जगाना है।

अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद
देश की न्याय-प्रणाली में भारतीय संस्कृति के अनुरूप सुधार करवाने और प्रभावी न्याय-प्रक्रिया के निर्माण का कार्य करने के लिए बना विधिवेताओं का संगठन है अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद।
अखिल भारतीय सहकार भारती उत्पादक, वितरक और ग्राहक के संबधों का समन्वय कर सहकारिता के द्वारा अर्थ व्यवस्था को पुष्ट करने के लिए बनाई गयी संस्था।

अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत
ग्राहकों का प्रबोधन और संगठन कर अर्थ व्यवस्था में सुधार के लिए बनाई गयी संस्था।
लघु उद्योग भारती भारतीय अर्थ आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त लघु उद्योगों की कठिनाइयां दूर कर उन्हें विकास के सफल बनाने में सहायता देने के लिए लघु उद्योग भारती की स्थापना की गयी।

प्रज्ञा प्रवाह
वैचारिक आन्दोलन को राष्ट्रीय रंग में रंगने के लिए बुद्धिजीवीयों के लिए एक प्रभावी मंच है। प्रज्ञा प्रवाह के मार्गदर्शन में देश में अलग अलग नामों से मंच सक्रिय है। पंजाब में पंचनद शोध संसथान संस्थान कार्य कर रहा है।

सीमा जागरण
राजस्थान में 1985 में सीमावर्ती क्षेत्र ग्रामों में जन जागरण से प्रारम्भ। 2000 में अखिल भारतीय स्वरूप। नाम सीमा जागरण। सीमा क्षेत्र में रहने वाले लोगों में राष्ट्र की सुरक्षा हेतु जन जागरण करना सीमा जागरण का प्रमुख कार्य है। पंजाब में सरहदी लोक सेवा समिति के नाम से चल रहा है।

स्वदेशी जागरण मंच
वैश्वीकरण के नाम पर आर्थिक साम्राज्यवाद थोपने के विदेशी षड्यंतत्रों से राष्ट्र समाज को सचेत करके
स्वदेशी के प्रति प्रेम जागृत करने वाला मंच है।

भारतीय मजदूर संघ
पूंजीपतियों के स्वार्थ पर आधारित व्यवस्था के विरोध में खड़े श्रमिकों और उनके नेताओं के स्वार्थ पर ही
केन्द्रित संगठनों के स्थान पर, उद्योग से जुड़े सभी लोगों के संयुक्त औद्योगिक परिवार के हितों व् राष्ट्रहित को समर्पित श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संगठन की स्थापना 23 जुलाई 1955 को हुई। संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं चिंतक दत्तोपंत ठेगडी इस संगठन संस्थापक थे। अधिकार के साथ कर्तव्य को भी जोड़ने वाला, लाल झंडे के स्थान पर भगवा झंडा को अपनाने वाला और मई के स्थान पर विश्वकर्मा जयंती को श्रमिक जयंती मानने वाला भारतीय मजदूर संघ देश का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन है। इसकी सदस्यता संख्या एक करोड़ से भी अधिक है।

भारतीय किसान संघ
राष्ट्रहित के साथ किसान हित की रक्षा और कृषक संगठन के स्थापित संस्था जो किसानों के सर्वांगीण
विकास के लिए प्रयत्नशील है। इस समय इसके 8 लाख सदस्य हैं।

भारतीय इतिहास संकलन योजना
बाबा साहिब आप्टे स्मारक समिति द्वारा संचालित प्रकल्प भारतीय इतिहास संकलन योजना भारत के गत
5000 वर्ष के तथ्यपरक इतिहास के शोधन एवं लेखन को समर्पित है। महाभारत की कालगणना और
सरस्वती नदी के विलुप्त प्रवाह का अनुसन्धान समिति के विशेष कार्यों में से एक है।

राष्ट्रीय सिख संगत
दशम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की भावना- जगे धर्म हिन्दु, सकल भन्ड भाजे' के अनुरूप सिख समुदाय की शेष हिन्दू समाज से एकता-एकात्मता पुष्ट करके विधर्मी षड्यंत्रों को विफल करने को समर्पित संगठन।

विवेकानन्द केंद्र
कन्याकुमारी के पास समुद्र के बीच विवेकानन्द शिला पर स्वामी विवेकानन्द का भव्य स्मारक बनाने के लिए गठित विवेकानन्द जन्म शताब्दी समारोह समिति से ही विवेकानन्द केंद्र की स्थापना की 1963 में प्रक्रिया शुरू हो गयी थी। इसके संस्थापक संघ के पूर्व सरकार्यवाह श्री एकनाथ रानाडे थे। विवेकानन्द केंद्र देश के कोने कोने में (विशेषकर उत्तर- पूर्वांचल में ) चरित्र निर्माण, संस्कार जगाने और अनेक प्रकार के रचनात्मक कार्यों में सलंग्न है। सैकड़ों युवक युवतियां अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित कर केंद्र के माध्यम से सेवा में जुटे हैं।

हिन्दू जागरण मंच
राष्ट्र विरोधी तत्वों की घुसपैठ, तोड़फोड़, अराजकता, अपहरण उपद्रव और लव जिहाद इत्यादि घटक
गतिविधियों पर सतर्क दृष्टि रखने के लिए विभिन्न प्रान्तों अलग अलग मंच बनाये गये हैं। तमिलनाडू में हिन्दू मून्नानी,दिल्ली में हिन्दू जागरण मंच और महाराष्ट्र में हिन्दू एकजुट मच आदि।
आरोग्य भारती भोपाल में 2004 में स्थापना। स्वास्थ्य चेतना जागरण,आरोग्य शिक्षण,आरोग्य संवर्धन, रोग प्रतिबन्धन तथा भारत में प्रचलित सभी प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों में आरोग्य के भारतीय चिन्तन का जागरण।

प्रकाशन
किसी समय बिना कागज कलम से कार्य करने वाले स्वयंसेवक आज अनेक बड़े और प्रतिष्ठित प्रकाशन चला रहे हैं। 1947 जुलाई में स्व. दीनदयाल जी ने अटल जी को साथ लेकर मासिक पत्रिका राष्ट्रधर्म को प्रारम्भ किया। बाद में पांचजन्य तथा आर्गेनाइजर सप्ताहिक शुरू हुए। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार का राष्ट्र उपयोगी साहित्य के प्रकाशन प्रारम्भ हुए। सुरुचि प्रकाशन (दिल्ली), लोकहित प्रकाशन(लखनऊ), अर्चना प्रकाशन( भोपाल) एवं भारत भारती प्रकाशन (नागपुर)आदि अनेक प्रकाशन कार्य कर रहे हैं। लगभग 30 से ज्यादा सप्ताहिक व मासिक पत्र पत्रिकाएँ निकल रही हैं। देश में रेडियो, टी.वी. और अख़बार से अधिक इन पत्र-पत्रिकाओं की पहुँच है।

हिन्दूस्थान समाचार
हिंदी व विभिन्न प्रांतीय भाषाओं में समाचार संकलन का पहला संगठन 1949 में प्रारम्भ हुआ। समाचार जगत में प्रभावी भूमिका निभाने के बाद राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार होकर 1975 आपातकाल के समय बंद हो गया। पुन: सन 2000 में शुरू किया गया।

अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ
हरिद्वार में 1992 में स्थापना। शिक्षा के लिए शिक्षक और शिक्षक के लिए शिक्षक संगठन। शिक्षकों की मांगों के लिए संघर्ष करने के साथ साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिए अनेक कार्यकर्मों के साथ कार्यरत है।

National Medicos Organisation
चिकित्सकों को समाज सेवा के लिए प्रेरित करने के लिए 1997 में प्रारम्भ। सेवा वस्तियों तथा वनवासी क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा प्रदान करना के साथ स्वास्थ्य सम्बधी मार्गदर्शन करना। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के छात्रों के मन में स्वदेशी भाव जागृत करना। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में हो रहे नवीन अनुसन्धानों को चिकित्सा छात्रों तथा चिकित्सकों तक पहुँचाने में सक्रिय।

भारतीय कुष्ठ निवारक संघ
चम्पा (छ्तीसगढ़ ) में 1962 में कुष्ठ रोगियों की सेवा एवं पुनर्वसन के लिए प्रारम्भ। पंजाब में कोटकपुरा में निरोग बाल आश्रम सेवारत है। कुष्ठ रोग पीडितों के अनेक बच्चों को पढ़ा लिखा कर स्वावलंबी बना चुका है।

सक्षम
सक्षम अर्थात समदृष्टि क्षमता विकास एवं अनुसन्धान मंडल की मान्यता है कि विकलांग परिवार का अंग है समाज पर बोझ नहीं। अगर उनको अपनी योग्यता, प्रतिभा तथा क्षमता दिखाने का अवसर मिले तो वे भी स्वावलम्बी बन कर राष्ट्र और समाज सेवा में अपना योगदान कर सकते हैं। 1997 से दृष्टिहीन कल्याण संघ के नाम से कार्य करने के बाद 20 जून 2008 को सक्षम नाम से नागपुर में स्थापना हुई। उपरोक्त संगठनों के आलावा प्रान्त और स्थानीय स्तर पर अनेक संगठनों का सफल संचालन स्वयंसेवक कर रहे हैं। राष्ट्र और समाज के लिए आवश्यक कुछ महत्वपूर्ण कार्य संघ की कुछ गतिविधि के रूप में भी चल रहे हैं।

ग्राम विकास
भारत ग्राम प्रधान देश है। अत: ग्राम का विकास ही सही अर्थ में देश का विकास है। मन्दिर व् ग्राम देवता के आधार पर आत्मीय और एकरस समाज भाव निर्माण करना, ग्राम के प्रति अपनत्व, मिट्टी, जल, पशु पक्षी आदि के संरक्षण हेतु नागरिक कर्तव्य व् प्रकृति के संसाधनों के उपयोग का ज्ञान। ग्राम स्वच्छता और जैविक खेती और गाय को आधार बना कर ग्रामवासियों के द्वारा ग्राम का विकास।

गोसेवा एवं संवर्धन
गाय हमारे समाज में अतीव श्रद्धा एवं कृषि व् रोजगार का आधार रही है। आधे अधूरे भारतीय ज्ञान तथा
पश्चिम के अन्धानुकर्ण के आधार पर बनी योजनाओं के कारण गाय को हमने लगभग समाप्त ही कर दिया। आज भारत में गाय की बहुत सारी नस्लें ही लुप्त हो गयी हैं। गोपाल के देश में गाय की हत्या निर्बाध रूप से चल रही है। इस परिस्थिति में सब समस्याओं से मुक्ति के लिए जन जागरण और प्रशिक्षण के द्वारा गोभक्त, गोसेवक, गोपालक, गोरक्षक खड़े करना तथा गो आधारित जैविक कृषि, पञ्चगब्य चिकित्सा व रोजगार आदि से स्वावलम्बन लेन की दिशा में पर्यत्नशील है।

परिवार प्रबोधन
हिन्दू संस्कृति सनातन और शाश्वत है। अपनी संस्कृति के इस अनोखे सामर्थ्य के अनेक कारणों में हमारी
परिवार व्यवस्था भी प्रमुख कारण है। परिवार की दिनचर्या, संभाषण, आदतें सही दिशा में विकसित हों।
अपनी परिवार व्यवस्था तथा समाज व्यवस्था सक्षम और सुदृढ़ हो इसी उद्येश्य को लेकर यह विभाग सक्रिय है।

सामाजिक समरसता
समाज में शक्ति, सामंजस्य एवं एकात्मता के लिए समरसता की आवश्यकता रहती है। समरसता केवल
कानून से नहीं आती। बाल विवाह, अस्पृस्यता आदि कुरीतियों अनेक कानूनों के बाबजूद कम -अधिक आज भी देखी जा सकती हैं। समरसता के लिए सामाजिक मानसिकता, अपनत्व का भाव जागरण तथा हम सब एक भारतमाता के पुत्र होने के कारण सगे भाई बहिन हैं इसकी अनुभूति करना सामाजिक समरसता का प्रमुख कार्य है।

धर्म जागरण विभाग
अपने देश में मतांतरण की समस्या हिन्दू समाज के अस्तित्व से जुडी है। इस्लाम तथा ईसाई शक्तियों ने
मतान्तरण कर, हिन्दुओं की संख्या घटाई है। हिन्दू समाज की संख्या कम होने के कारण देश का अनेक बार विभाजन हो चुका है। संभावित मतान्तरण से हिन्दू समाज को बचाना, मतान्तरित बन्धुओं को वापिस लाना इस विभाग का उद्देश्य है।

आपका अपना
– अजय विश्नोई