14 भाइयों में सबसे छोटे अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल को इंदौर के पास में महू में हुआ था। जहां आज भाजपा सरकार ने एक भव्य स्मारक बना दिया है। 1950 में देश के संविधान को लिखने वाला नेता 1952 के चुनाव में अपना पहला चुनाव हार गए थे। कांग्रेस चुनाव जीत गई थी।
बाबासाहेब ने दलितों के लिए जो लड़ाई लड़ी उसे हम सब जानते हैं। बाबा साहब ने महिलाओं के सशक्तिकरण की भी लड़ाई लड़ी थी। जिसे कम लोग जानते हैं।
5 फरवरी 1951 को डॉ अंबेडकर ने संसद में हिंदू कोड बिल पेश किया था। इसमें महिलाओं को पारिवारिक संपत्ति में अधिकार, तलाक का अधिकार, बहु विवाह पर रोक, विधवा विवाह को मान्यता देने की बात कही थी। संसद में इस पर 3 दिन तक बहस चली थी। विरोध करने वालों का तर्क था इसे सिर्फ हिंदुओं पर नहीं सभी धर्म पर लागू किया जाए। इस बिल के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हुए। बिल पास नहीं हो सका। बाद में अंबेडकर जी ने हिंदू कोड बिल समेत अन्य मुद्दों को लेकर कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। उस समय देश में महिलाएं भी शोषित और वंचित थी। दलित तो शोषित और वंचित थे ही। शोषित और दलितों की यह आवाज 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हमेशा के लिए शांत हो गई।
1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से बाबासाहेब को सम्मानित किया गया। बाबा साहब की आत्मा आज प्रसन्न होगी देश में दलितों को आज बराबरी का स्थान प्राप्त है। महिलाओं को परिवार की संपत्ति में बराबरी का अधिकार है।बहु विवाह गैर-कानूनी है। विधवा विवाह को समाज में मान्यता प्राप्त है।
बाबा साहब सिर्फ भारत रत्न ही नही सम्पूर्ण मानवता के रत्न है। आज उनके जन्मदिन के अवसर पर बारंबार प्रणाम।