आज से 71 वर्ष पूर्व हमने अपना बनाया हुआ संविधान अपने देश पर स्वयं लागू किया था। न्यायालय को, संसद को, विधानसभाओ को, कार्यपालिका को, नागरिकों को, कौन-कौन सी शक्तियां होंगे उनके अधिकार क्या होंगे, और क्या उनके कर्तव्य होंगे, इस किताब में लिखा है। जिसका नाम है। ‘संविधान’
संविधान की मूल प्रति संसद भवन में नाइट्रोजन गैस चैंबर में रखी हुई है। ताकि है यह पुस्तक खराब ना हो। मूल प्रति हस्तलिखित है। अंग्रेजी में भी और हिंदी में भी। इसे लिखा था दिल्ली में रहने वाले श्री प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने। उन्होंने लिखने का शुल्क नहीं लिया था। प्रत्येक पृष्ठ पर उनके हस्ताक्षर है। संविधान के प्रत्येक पृष्ठ को शांति निकेतन के कलाकारों ने सुंदर चित्रों से सजाया है। राम दरबार, गीतादर्शन, सिंगवाहनी दुर्गा, नंदी पर सवार शिवजी के चित्रों से सजी हुई है यह पुस्तक। ये चित्र इस बात के प्रमाण हैं कि संविधान निर्माताओं के दिमाग में स्पष्ट था कि भारत हिंदुओं का राष्ट है। उनके दिमाग में सांप्रदायिकता कहीं दूर दूर तक नहीं थी। इन चित्रों को बनाने वाले लोगों में हमारे जबलपुर के स्वर्गीय श्री राम मनोहर व्यवहार भी एक प्रमुख कलाकार थे। संविधान के प्रथम पृष्ठ पर बनाये चित्रों के बाद उन्होंने उस पर अपने हस्ताक्षर में पूरा नाम की जगह सिर्फ राम लिखा है।
संविधान सभा का गठन 11 दिसंबर 1946 को हुआ था। जिसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद जी को बनाया गया था। हमारे प्रथम राष्ट्रपति। मुस्लिम लीग ने संविधान सभा का बहिष्कार किया था। आजादी के बाद 29 अगस्त 1947 को संविधान निर्माण समिति बनाई गई। जिसका अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को बनाया गया। कुल 11 सत्रों में संविधान बनाने का काम पूरा हो गया। 11वॉ और अंतिम सत्र 26 नवंबर 1949 को हुआ था। इस पर संविधान सभा के 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे। देश ने इसे स्वीकार किया था। इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में जाना जाता है। 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया था। इसलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में जाना जाता है और मनाया जाता है।
दोस्तों 60 देशों के संविधान का अध्ययन करके बना था, भारत का संविधान। भारत के संविधान में नागरिकों के अधिकार और WE THE PEOPLE की अवधारणा अमेरिका के संविधान से ली थी। पंचवर्षीय योजना रूस के संविधान से, स्वतंत्रता और समानता फ्रांस के संविधान से, सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां जापान के संविधान से, व्यापार और वाणिज्य के नियम आस्ट्रेलिया के संविधान से लिए गए थे।
हमारा संविधान कठोर भी है और लचीला भी इसमें समय और आवश्यकता के हिसाब से संशोधन करने का अधिकार भी संसद को दिया गया है अब तक संविधान में कुल 104 संशोधन हो चुके हैं।
दोस्तों संविधान में लिखी हुई हर बात का पालन करना भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। हमें अपने देश के संविधान पर गर्व है। संविधान निर्माताओ को प्रणाम है।
दोस्तों, भारत के संविधान को बनाने के लिए संविधान सभा का गठन किया जाए, यह मांग पहली बार 1939 में कांग्रेस के अधिवेशन में उठाई गई थी। मुझे यह बताते हुए गर्व है कि यह सम्मेलन जबलपुर की धरती पर हुआ था।जिसे हम त्रिपुरी सम्मेलन के नाम से जानते हैं। इसी सम्मेलन में गांधीजी के प्रत्याशी को चुनाव में हराकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। जिसकी स्मृति में जबलपुर शहर में कमानिया गेट बना हुआ है। जिस पर 1939 अंकित है। अंग्रेजों ने 1940 में कांग्रेस की इस मांग को स्वीकार कर लिया था। और 1942 में क्रिप्स कमीशन ने संविधान सभा बनाने की घोषणा कर दी थी। बाद में 1946 में संविधान सभा बनी जिसका उल्लेख में ऊपर कर चुका हूं।
एक बार फिर से सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं…