दिल्ली में बैठे पंजाब और हरियाणा के किसान मोदी सरकार द्वारा बनाए 3 कानूनों को समाप्त करने की जिद लेकर बैठे हैं। मोदी सरकार कह रही है यदि किसी कानून के किसी बिंदु पर आपत्ति है, तो हमें समझाओ हम सुधार देंगे। परंतु जिस कानून से देशभर के किसानों का भविष्य उज्जवल होना है, उसे सिर्फ दो प्रदेशों के चंद किसानों की जिद के कारण वापस नहीं लेंगे।
आश्चर्य है कांग्रेस इस आंदोलन का समर्थन कर रही है। कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव के अपने घोषणा पत्र में लिखा था।
1. मंडी एक्ट वापस लेंगे।
2. कृषि उपज व्यापार को बढ़ावा देंगे और उसे हर तरह की पाबंदियों से मुक्त करेंगे।
3. पंजाब के चुनाव घोषणा पत्र में कांग्रेस ने लिखा था कि कृषि में निजी निवेश को बढ़ावा देंगे।
मोदी सरकार के कृषि सुधार कानून ने मंडी व्यवस्था को बनाए रखते हुए किसानों को मंडी में लाइसेंसी व्यापारी को ही माल बेचने के प्रतिबंध से मुक्त किया है। मंडी टैक्स पर छूट दी है। किसानों की भूमि की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए कृषि में निजी निवेश का रास्ता प्रशस्त किया है। निजी निवेश धीरे-धीरे आएगा आगामी कुछ सालों में किसानों को इसका फायदा नजर आएगा। इन कानूनों में किसान को कोई नुकसान नहीं है। फायदा है। कांग्रेसी भी यही करना चाहती थी परंतु अब राजनीतिक रूप से कमजोर हो चुकी अवसरवादी कांग्रेस दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन की आग में घी डालकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना चाह रही है।
मध्य प्रदेश का किसान जानता है जब जब कांग्रेस की सरकार बनी उन्होंने किसान को गांव को कुछ नहीं दिया।10 दिनों में कर्ज माफ करने का वायदा करके किसानों को डिफाल्टर बना दिया।
किसान को और गांव को तभी कुछ मिला जब देश में प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी है। किसान को क्रेडिट कार्ड, गांव तक पहुंचने प्रधानमंत्री सड़क, खेत तक पहुंचने सुदूर सड़क, गांव की गलियों में सीमेंट, खेत में दर्जनों ट्रांसफार्मर, खेत को10 घंटे बिजली, घर में 24 घंटे बिजली, तभी मिली जब प्रदेश में भाजपा सरकार बनी। मध्य प्रदेश का किसान जानता है कि भाजपा सरकार के नेतृत्व में ही उसका भला है।