एक ओर जहां हमारे प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी, “सबका साथ-सबका विकास” के लक्ष्य को लेकर चलते हुए अथक प्रयास कर रहें हैं.. वहीँ कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए इस देश की जनता को बाँटना चाहते है, तोड़ना चाहते हैं.. पर हम सभी को उन्हें दिखाना ही होगा की अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा, इससे पहले भी कई बार गंदी राजनीति करते हुए ये लोग ऐसे खेल खेलते रहें हैं, पर अब भारत कि जनता ऐसा पुनः बिलकुल नहीं होने देगी.. सन 1950 तक भारत के जन-मानस के मन में, कहीं भी तुष्टिकरण जैसी कोई तुच्छ भावना थी ही नहीं.. हर भारतीय के लिए परम सम्माननीय “हमारा संविधान”, विश्व का सबसे बड़ा संविधान.. उस संविधान के निर्माताओं ने उसके एक-एक अक्षर को ध्यान, मेहनत, लगन, खोज व सोच-समझकर बनाया और फिर सभी की सर्वसम्मति से उस संविधान को मान्यता दी गई और उसे लागू किया गया.. उस महान संविधान के प्रथम पृष्ठ के चित्र में चार कोनों पर चार चित्र है:-
1. शिवजी का नंदी – जिनके सिर पर मुकुट और पीठ पर आसन है।
2. इंद्र का ऐरावत हाथी – जिसकी पीठ पर आसन है।
3. अश्वमेघ यज्ञ का सुसज्जित अश्व।
4. आदि शक्ति का प्रतीक बाघ (बंगाल टाइगर)।
और इसी के साथ उसी प्रष्ठ पर एक नाम अंकित है वो है ‘राम’.. संविधान के इस प्रथम प्रष्ठ को देखकर यह बात साफ़ है की संविधान के सभी निर्माता व मान्यता देने वाले सभी गणमान्य भी इस बात को मानते थे की हमारा देश हिंदुस्तान, सदा से, पूर्ण रूप से हिन्दूराष्ट्र था.. हिन्दुस्तान का हर निवासी हिन्दू है.. और यही सत्य है.. परन्तु सन १९५० के बाद, एक राजनैतिक दल ने सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए,
वोटों के लिए, वोट बैंक के लिए.. गन्दी राजनीती करते हुए इस तुच्छ तुष्टिकरण की सोच को प्रबलता दी..
जिसका परिणाम आज हम जेएनयु में लगे देश विरोधी नारे, कश्मीर में हुयी पत्थरबाजी, बंगाल में हुए दंगे और हाल ही में बाल कटवाते हुए गायक सोनू निगम के रूप में देखकर दुखी व चिंतित है..
हमारे स्वतंत्रता सेनानी, वीर क्रांतिकारी, हमारे हमारे पूर्वज व संविधान निर्माताओं ने कभी भी न तो इस
तुष्टिकरण के बारे में सोचा और न ही ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है..
इसलिए मैंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी को एक पत्र लिखा है, ताकि इस बात को संपूर्ण विश्व को बताया जाए कि हिन्दुस्तान सदा से हिंदू राष्ट्र रहा है, और सदा रहेगा। हमें हमारे गौरवशाली हिंदुस्तान व इसके इतिहास पर गर्व है।
और इसी के प्रतीक स्वरुप विश्व के सबसे बड़े और सुन्दर संविधान को अपनी कला से सजाने वाले और
पूर्वी देशों में भारतीय कला को फ़ैलाने वाले भारत के सांस्कृतिक राजदूत माँ नर्मदा जी के आशीर्वाद
से जबलपुर की पावन माटी में जन्मे स्व. श्री राममनोहर ब्यौहार जी को वो सम्मान दिया जाए जिसके वो
सही मायनों में अधिकारी हैं..
आइए हम सब राम मनोहर जी को “भारतरत्न” से अलंकृत किये जाने हेतु माननीय प्रधानमंत्री जी से
निवेदन करें।
जय हिन्द! जय हिन्दुराष्ट्र! जय हिंदुस्तान!